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( रसोई )

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  ( रसोई ) महंगाई का अजगर रसोई को खा रहा है ! रसोई की थाली से स्वाद  रफ़्ता - रफ़्ता गायब हुआ जा रहा है ! महंगाई का अजगर रसोई को खा रहा है ! पहले कोरोना का रोना  अब महंगाई की मार एक वक्त की रोटी भी है दुश्वार  गरीब और मध्यम वर्ग  असहाय हुआ जा रहा है !  महंगाई का अजगर रसोई को खा रहा है ! वो उज्ज्वला योजना  गरीबों के लिए आपका सोचना  गांवों को शहरों से जोड़ना  वो उज्जवला योजना का सिलेंडर खाली हुआ जा रहा है !  रसोई की वो शान  शो-पीस हुआ जा रहा है !  महंगाई का अजगर रसोई को खा रहा है ! वो बारिश का मौसम  वो गलियों का पानी  वो चाय की चुस्की वो पकौड़ो की कहानी  सब अतीत हुआ जा रहा है !  महंगाई का अजगर रसोई को खा रहा है ! देशी घी न हुआ कभी मयस्सर  सरसों तेल, रिफाइंड कभी डालडा इन्हीं से पड़ा कुनबा पालना सरसों तेल रिफाइंड और डालडा  अब देशी घी हुआ जा रहा है !  महंगाई का अजगर रसोई को खा रहा है ! दाल रोटी सबको मालिक मिलती रहे दाल रोटी सबकी चलती रहे थाली से प्याज भी अब  लुढ़का जा रहा है !  दाल रोटी का मुहावरा  जुमला हुआ जा रहा है ! महंगाई का अजगर रसोई को खा रहा है !  रोजगार पे कोरोना की मार  हर इंसा है बेब

एक नई कहानी की तलाश में

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  एक नई कहानी की तलाश में एक नई कहानी की तलाश तो हमेशा रहती एक लेखक को। मैं भी एक लेखक हूं , रोज कुछ नया लिखना चाहती रोज कुछ नया सोचती। नएपन की खोज लगी रहती। ऐसी ही एक खोज करते करते मैं अपनी कहानी को ही जीने लगी हूं। जो किसी भी खोज से कम नहीं। कभी कभी हम जो खोजते वो हमारे पास ही होता, पर हम दूर दराज खोजने निकल जाते। हमारा अपना जीवन कौनसी किसी कहानी से कम है। हर रोज कुछ नया रंग देखने को  मिलता । हर दिन जिंदगी एक नया रूप  एक नया ढंग, निराला दिखाता। जिंदगी के उतार चढ़ाव इतने है जिंदगी के गम और आसूं इतने है ,जो खुशी से कम ही लगते। कभी अपने आप से ही मायूसी होती। कभी अपना जीवन भी घुटन सा लगता। कितनी ही तकलीफ भरे किस्से मन में दबे है, पर फिर एक नए उमंग नए उल्हास से जीने को आतुर रहते। ये हमारी रोज मर्रा की जिंदगी क्या कहानी से कम है। आपदा और विपदा की जटिल कहानी हर रोज ही जीनी होती हमें। यही मेरी कहानी है मुझे अपनी ही कहानी के नए अंदाज की तलाश है एक नए सुबह के आगाज की तलाश है। By : Poetry Khakholia Mundra Insta I'd: _befikr_lafz

"DEAR PARENTS ( a thing I wanted to tell my parents )

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  NAME : SOMDATTA MITRA  TOPIC: "DEAR PARENTS ( a thing I wanted to tell my parents )  Tranquility prevailed in a serendipity of trepidation. Your care and comfort blurred the pessimisms. While cuddling how wonderfully you embossomed me;  Into a paradise of thoughts and emotions you captivated my innocence and nurtured. How rejuvinated those ecstatic moments were like a divine dip,  The river Ganga seemed to wink. The plethora of affection and love I could behold, The forlorn moments at times rejoiced , Over this distinct manifold as I unfold.  I want to treasure those sequel in an oratory,   And would rewind the lost happiness with a declatory.  Life is incomplete without your presence,  You left me alone in the ferocious world in evanescence. The shattering soul always crave for your bedizen comforts,  Your lap was my own territory of everlasting peace that I still crave for.   Father dear you enlightened my life with an envision, To move fearlessly with courage and vigour. When

हिंदी भाषा मेरी शान मेरी जान

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  कभी खुशी, कभी गम ।      हिंदी भाषा ही बोलेंगे हम ।           हिंदी बोलने में कैसी शर्म। हिंदी बोलने से बढता प्यार ।     अंग्रेजी तो बहुत बेकार   ।          नई पीढ़ी पर इसका भार । बच्चों को गले लगाओ,     एक बात उनको समझाओ ।        हिंदी बोलकर मान बढाओ  हिंदी की झूठी ना करूँ बढ़ाई ।     हिंदी में बात हो या हो लड़ाई ।       अंदाज निराला इसका भाई। हिंदी है तो हिन्दुस्तान है ।  हिन्दुस्तान है तो हिंदी है ।  हिंदी हमारी पहचान है । हिंदी अपनाओ,संस्कृति बचाओ       पूर्वजों का मान बढ़ाओ  एक साथ सब मिलकर गाओ..।  तब होगा संकल्प पूर्ण हमारा ...।  हिंदी भाषा  ...ध्येय हमारा ।  सारे जहाँ में एक ही नारा ... हिंदी से जगमग हो हिन्दुस्तान हमारा... । द्वारा - रमा सोनी (अलवर)                        

Jindgi e jindagi

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  ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी,  तू क्यों नहीं कभी ऐसी हो जाती, किसी मुस्कान सी, हंसी अरमान सी हो जाती, था जब वो आसमां सोया, तूने कितने सितारों को उसके पहलू में पिरोया, उस तरह से खुशियां तू हर पहलू में क्यों नहीं पिरो जाती, ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी, तू क्यों नहीं कभी ऐसी हो जाती, बनके बारिश तू बरसी पर्वतों पर, मिट गयी थी जो धूल फ़ूल पत्तों पर, दिलों की धूल तू उस तरह से क्यों नहीं धो जाती, ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी, तू क्यों नहीं कभी ऐसी हो जाती, तन्हा सांसों को ख़ामोश धड़कनों को छोड़ कर, किसी मोड़ पर हर किसी से मुंह मोड़ कर, इस तरह से अंधेरों में तू क्यों है को जाती, ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी, तू क्यों नहीं कभी ऐसी हो जाती। अमित सिंह insta id: my_.broken_.words

सुनो न......

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सुनों न...... तुम्हारी खुशियों को न जाने  कहाँ बसेरा हो गया जिधर देखा उधर गम  का सबेरा हो गया ...... होंठो पर मुस्कान अब फीकी लाने लगीं हो  हँसी-ठिठोली वाला वक़्त भुलाने लगीं हो ... हर दिन नई झंझट का झमेला हो गया बेचैनी का सिलसिला इतना बढ़ा  की तुम्हारे होते हुए भी मैं  अकेला हो गया..... ढूंढती हैं निगाहें अब भी तेरे प्यार का  पर ... वो ग़म का ज़माना हमारा हो गया  तुने दर्द इतना दि की वो मरहम भी  पुराना हो गया..... हमें इतना सताना तुम्हें आम बात हैं लगता करतीं थी पहले मिठ्ठी बातें  अब वो बेगाना लगता हैं अपने रिश्ते को तोड़ कर जाना  हर बात मुझें ख़लता है...... अब छोड़ों भी.... नफरतों का मन में विष क्यूँ घोलती हो हर लम्हा बोझिल सा है आजकल  पर तुम क्यों न कुछ बोलतीं हों  जो खाई थी कसमें - बादें  उसे क्यों भूल गई जो दिल बातें थी दिल में रखतीं  उसे तुम क्यों बोल गई....... मतलबी इतनी हो गई की अब  सर चढ़कर डोलने लगीं  दिल की बातें थीं  जो तुने  औरों के कहने पर बोलने लगीं...... प्रिंस राज वर्मा

THE NIGHTANGLE

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  NAME : SOMDATTA MITRA  TOPIC NAME : SOMDATTA MITRA  TOPIC : THE NIGHTANGALE  As a songstress you reign in the bushes and the forests ,  With your impeccable voice you captivate several hearts and rejuvinate the musicians.  Even John Keats and William Wordsworth were both spellbound with your intellect, In your admirance they have emboldened their spirits in their poems. As you enthuse , charm and subjugate the youth, In Europe , Asia , North West Africa , you dwell and lewth. You are a cheerleader with your alluring voice, Everyone seems to be numb as if they are in an oblivion. It seems that we are in a delight and wonderment, And engage ourselves in writing ballads in abundance. Your songs enrich our lives by several means, You are a nature's gift , a pride , purity and a virtue so evergreen. With a small stature , a white grey throat, You feed on fruits and nuts and perch on a branch and connote. Your reddish tail is an amulet that adds to your enigma,  The whole world rejoice