( रसोई )
( रसोई )
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
रसोई की थाली से स्वाद
रफ़्ता - रफ़्ता गायब हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
पहले कोरोना का रोना
अब महंगाई की मार
एक वक्त की रोटी भी है दुश्वार
गरीब और मध्यम वर्ग
असहाय हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
वो उज्ज्वला योजना
गरीबों के लिए आपका सोचना
गांवों को शहरों से जोड़ना
वो उज्जवला योजना का सिलेंडर
खाली हुआ जा रहा है !
रसोई की वो शान
शो-पीस हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
वो बारिश का मौसम
वो गलियों का पानी
वो चाय की चुस्की
वो पकौड़ो की कहानी
सब अतीत हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
देशी घी न हुआ कभी मयस्सर
सरसों तेल, रिफाइंड कभी डालडा
इन्हीं से पड़ा कुनबा पालना
सरसों तेल रिफाइंड और डालडा
अब देशी घी हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
दाल रोटी सबको मालिक मिलती रहे
दाल रोटी सबकी चलती रहे
थाली से प्याज भी अब
लुढ़का जा रहा है !
दाल रोटी का मुहावरा
जुमला हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
रोजगार पे कोरोना की मार
हर इंसा है बेबस और लाचार
ऊपर से यह महंगाई की सौग़ात
महंगाई का यह डंक
स्युंक्त परिवारों को खा रहा है !
पढ़ने वाला भी बच्चा पेट वास्ते
मज़दूर हुआ जा रहा है !
महंगाई का अजगर
रसोई को खा रहा है !
विपिन बंसल
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